संभोग एक उम्र में की जाने वाली ऐसी स्वाभाविक प्रक्रिया जिससे शायद ही कोई व्यक्ति अछूता हो। इंसान तो इंसान पशु-पक्षी भी संभोग के आनंद को भोगते हैं और संतान पैदा करते हैं। यदि संभोग केवल संतान उत्पत्ति के उद्देश्य से किया जाये, तो शायद आप इसका आनंद खुलकर न ले पायें, या फिर आप महसूस ही न कर पायें, क्योंकि ऐसी अवस्था में आपका एक मात्र लक्ष्य संतान पैदा करके माता-पिता का सुख भोगने का होता है,
न कि संभोग का। स्त्री हो या पुरूष उम्र के एक पड़ाव में दोनों को संभोग की अनुभूति की लालसा होती ही होती है। दोनों इस आनंद को भोगने की इच्छा मन में रखने लगते हैं। किन्तु आज की भागदौड़ और अनियमित दिनचर्या के चलते व्यक्ति संभोग को केवल औपचारिकता समझने लगा है। संभोग के वास्तविक आनंद से दूर होता जा रहा है आज का व्यक्ति। इस हिंदी लेख में हम बात कर रहे हैं स्त्रियों की संभोग से घृणा करने की, दूर रहने की या फिर संभोग की इच्छा ही न होने की।
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